भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कभी तो हमें भी प्यार मिले / धीरेन्द्र सिंह काफ़िर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:17, 26 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेन्द्र सिंह काफ़िर |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी तो हमें भी प्यार मिले
उधार सही उधार मिले
कहीं पर लुटा कहीं पर मिटा
कि प्यार नहीं गुबार मिले
ख़ुदा मैं जो जीतने को चलूँ
तो जीत के बदले हार मिले
हवास रहे न होश मुझे
कहीं से मिले क़रार मिले
चलो न मिले सौ बार मुझे
ये तो हो की एक बार मिले