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स्तुति भागीरथ गंगा / रसलीन
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बिस्नु जू के पग तें निकसि संभु सीस बसि,
भगीरथ तप तें कृपा करी जहान पैं।
पतितन तारिबे की रीति तेरी एरी गंग,
पाइ रसलीन इन्ह तेरेई प्रमान पैं।
कालिमा कलिंदी सुरसती अरुनाई दोऊ,
मेटि-मेटि कीन्हैं सेत आपने विधान पैं।
त्यों ही तमोगुन रजोगुन सब जगत के,
करिके सतोगुन चढ़ावत बिमान पैं॥23॥