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मनु 'बे-तख़ल्लुस'
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मनु 'बे-तख़ल्लुस'
जन्म | |
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उपनाम | 'बे-तख़ल्लुस' |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
मनु 'बे-तख़ल्लुस' / परिचय |
ग़ज़लें
- तेरी जिद से परीशां है तेरा ही आशना कोई, / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- फ़िक्र में रोज़ी की फिरता मारा मारा आदमी, / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- जिसने थामा अम्बर को वो तुझे सहारा भी देगा, / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- आग में डूबा समंदर, नहीं तो फिर क्या है / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- जुनूने-गिरिया का ऐसा असर भी, मुझ पे होता है / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- असर दिखला रहा है ख़ूब, मुझ पर गुलबदन मेरा / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- कड़कती धूप को सुबहे-चमन लिखा होगा / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- मेरी निगाह ने वा कर दिए बवाल कई / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- ग़मे-हस्ती के सौ बहाने हैं / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- बस आदमी से उखड़ा हुआ आदमी मिले / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- क्या अपने हाथ से निकली नज़र नहीं आती ? / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- हसरतों की उनके आगे यूँ नुमाईश हो गई / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- ख़ाली प्याले, निचुड़े नीम्बू, टूटे बुत-सा अपना हाल / मनु 'बे-तख़ल्लुस'
- हज़ारों रंग बदले है निगाहे-यार चुटकी में / मनु 'बे-तख़ल्लुस'