भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नील कमल, नव-नील-नीरधर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:55, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग नायकी-ताल मूल)
नील कमल, नव-नील-नीरधर, नील मनोहर मरकत स्याम।
 राज-राजमनि-मुकुञ्ट कोटि-कंञ्दर्प-दर्प-हर सोभा-धाम॥
 राजत रत्न-रचित सिंहासन, भ्राजत सिर मनि-मुकुञ्ट ललाम।
 अंग-‌अंग सुचि सुषमा-सागर मुनि-मन-हर लोचन अभिराम॥
 बरद हस्त-मुद्रा महिमामय भक्तञ्-कल्पतरु पूरन काम।
 जनकनंदिनी सहित सुसोभित सुख-दायक रघुनायक राम॥