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नील कमल, नव-नील-नीरधर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग नायकी-ताल मूल)
नील कमल, नव-नील-नीरधर, नील मनोहर मरकत स्याम।
राज-राजमनि-मुकुञ्ट कोटि-कंञ्दर्प-दर्प-हर सोभा-धाम॥
राजत रत्न-रचित सिंहासन, भ्राजत सिर मनि-मुकुञ्ट ललाम।
अंग-अंग सुचि सुषमा-सागर मुनि-मन-हर लोचन अभिराम॥
बरद हस्त-मुद्रा महिमामय भक्तञ्-कल्पतरु पूरन काम।
जनकनंदिनी सहित सुसोभित सुख-दायक रघुनायक राम॥