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एक सत्य जो परम तव परमात्मा / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग भैरव-ताल त्रिताल)
एक सत्य जो परम तव परमात्मा ब्रह्मा ईश भगवान्‌।
 निर्गुण-गुणसह-निराकार, साकार-सगुण, सब भाँति महान्‌॥
 नित्य, सच्चिदानन्द, सर्वमय, सर्वातीत, सर्व-‌आधार।
 विष्णु, सूर्य, दुर्गा, शिव, गणपति, राम-कृञ्ष्ण अवतार-‌उदार॥
 अर्हत्‌्‌, बुद्ध, पिता ईसाके, अहुरमज्द, अल्लाह, प्रधान।
 प्रकृञ्ति, नियम, अणु, महत्‌्‌, कर्म, कर्‌त्ता, अव्यक्त, स्वरूञ्प-ज्ञान॥
 सभी प्राणियोंमें विभक्त-से जो प्रतीत होते ‘अविभक्त’।
 वही उपास्य, उपासित होते विविध रूञ्पमें हो अभिव्यक्त॥