(राग दुर्गा-तीन ताल)
मथुरामें सानन्द पधारे श्रीबलराम और घनश्याम।
परम मनोहर, परम शक्तिञ्धर, तेज-पुञ्ज दोनों अभिराम॥
पहुँचे कंस-धनुषशालामें नेत्र-चिाहर सहज अकाम।
अनायास हैं तोड़ रहे अति विकट धनुष हरि शोभा-धाम॥
(राग दुर्गा-तीन ताल)
मथुरामें सानन्द पधारे श्रीबलराम और घनश्याम।
परम मनोहर, परम शक्तिञ्धर, तेज-पुञ्ज दोनों अभिराम॥
पहुँचे कंस-धनुषशालामें नेत्र-चिाहर सहज अकाम।
अनायास हैं तोड़ रहे अति विकट धनुष हरि शोभा-धाम॥