भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जय अष्टादशभुजाधारिणी / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:32, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग सोरठ-ताल त्रिताल)

जय अष्टदशभुजाधारिणी प्रति कर प्रहरणधारिणि जय।
 जय सर्वान्ग-‌आभरणधारिणि सुन्दर त्रिनयनधारिणि जय॥
 जय सुविशाल सिंह-‌आरोहिणि राक्षसदल-संहारिणि जय।
 जय भीषण भवभीति-निवारिणि निज-जन-संकटहारिणि जय॥
 जय दुर्गे मोहार्णवतारिणि परम सुमंगलकारिणि जय॥