भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भानु-सहस्र-सदृश अति आभा / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:35, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग पीलू-ताल कहरवा)

भानु-सहस्र-सदृश अति आभा, शशिशेखर, त्रिनेत्र संयुक्त !
 रक्तवसनयुत, रत्नविभूषण, अमित इन्दुज्योत्स्नासे युक्त॥
 धारण कर स्वपाणिसे सादर पिला रही स्तन-सुधा अपार।
 जय वर-‌अभयदायिनी जय संतान-सुन्दरी स्नेहागार॥