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जय भव-भामिनि / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग ईमन-ध्वनि कीर्तन-ताल कहरवा)

जय भव-भामिनि जय भव-तोषिणि जय जग-पोषिणि जननी जय।
 जय मधुमालिनि जय जग-पालिनि वैभवशालिनि जननी जय॥
 जय सुख-दायिनि वाञ्छित-दायिनि, मंगलदायिनि जननी जय।
 जय अघ-नाशिनि विघ्र-विनाशिनि अन्नपूर्णा जननी जय॥