भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदिदेव, आदित्य, दिवाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:48, 29 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(राग सिंदूरा-ताल मूल)
आदिदेव, आदित्य, दिवाकर, विभु, तमिस्रहर।
तपन, भानु, भास्कर, ज्योतिर्मय, विष्णु, विभाकर॥
शंख-चक्रञ्धर, रत्नहार-केञ्यूर-मुकुटधर।
लोकचक्षु, लोकेश, दुःख-दारिद्र्य-कष्टस्न्हर॥
सविता देव अनादि सृष्टि जीवन पालनपर।
पाप-तापहर, मंगलकर, मंगल-विग्रह-वर॥
महातेज, मार्तण्ड, मनोहर, महारोगहर।
जयति सूर्य नारायण, जय जय सर्व सुखाकर॥