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वह हृदय नहीं है पत्थर है / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
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जो भरा नहीं है भावों से
बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हृदय नहीं है पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं