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हवा विपरीत है हम जानते हैं / जहीर कुरैशी

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हवा विपरीत है हम जानते हैं

हवाओं का भी दम—खम जानते हैं !


अगर तुम जानते हो सारी बातें

तो हम भी तुम से कुछ कम जानते हैं !


युवा नदियों के बूढ़े सागरों से

कहाँ होते हैं संगम , जानते हैं !


मुझे वे क्षण नहीं अब याद, लेकिन

वे सारे दृश्य अलबम जानते हैं


धरा पर मौत के सौदागरों को

बहुत अच्छी तरह 'यम' जानते हैं !


कहाँ तक जाएँगे ये क्रांतिकारी

ये हर दल—बल के परचम जानते हैं !


वे अपने बाद, अपने दुश्मनों का

गजल—साहित्य में क्रम जानते हैं !