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तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त / राजेंद्र नाथ 'रहबर
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तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त
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रचनाकार | राजेंद्र नाथ 'रहबर' |
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प्रकाशक | कल्पांत प्रकाशन दिल्ली 110032 |
वर्ष | 2017 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 168 |
ISBN | 81-903889-8-3 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
मशाहीर के इज़हारे-ख़यालात
- अली सरदार जाफ़री / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- काली दास गुप्ता रिज़ा / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- जगजीत सिंह / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- दिलीप कुमार / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- पंजाब उर्दू अकादमी / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- भाषा विभाग,पंजाब सरकार / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- प्रेम वार बर्टनी / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- प्रेम कुमार नज़र / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- शाइस्ता रुमानियत का शायर / शबाब ललित / तेरे ख़ुशबू में बसे खत / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
रचनाएँ
- दिल ने जिसे चाहा हो क्या उस से गिला रखना / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- तेरे ख़ुश्बू में बसे ख़त / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- आईना सामने रक्खोगे तो याद आऊँगा / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- महब्बत चार दिल की है अदावत चार दिन की है / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- दिल को जहान भर के मुहब्बत में गम़ मिले / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- एक विद्यार्थी की आरज़ू / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- शाम कठिन है रात कड़ी है / राजेंद्र नाथ रहबर
- चलो चाँद पे चल के हम घर बनाएँ / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- दोस्तों से फ़रेब खाया कर / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- किस ने अपना दामन झटका किस ने अपना हाथ छुड़ाया / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- तेरे होते हुए महफ़िल में अकेला हो जाऊँ / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- बे-सबब ही उदास हो जाना / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- दिल-ए-मजबूर तू मुझ को किसी ऐसी जगह ले चल / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- साफ़ शफ़्फ़ाफ़ अब हैं हम लोग / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- ईद का चांद हो गया है कोई / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- क्या आज उन से अपनी मुलाक़ात हो गई / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
- बस चंद ही दिनों के थे डेरे चले गए / राजेंद्र नाथ 'रहबर'