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मिलन यामिनी / हरिवंशराय बच्चन
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मिलन यामिनी
रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
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प्रकाशक | राजपाल एण्ड सन्ज़ (दिल्ली) |
वर्ष | 2009 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | |
पृष्ठ | 141(सजिल्द) |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में / हरिवंशराय बच्चन
- मैं कहाँ पर, रागिनी मेरा कहाँ पर / हरिवंशराय बच्चन
- आज मन-वीणा, प्रिए, फिर कसो तो / हरिवंशराय बच्चन
- आज कितनी वासनामय यामिनी है / हरिवंशराय बच्चन
- हास में तेरे नहाई यह जुन्हाई / हरिवंशराय बच्चन
- प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो / हरिवंशराय बच्चन
- प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है / हरिवंशराय बच्चन
- मैं प्रतिध्वनि सुन चुका, ध्वनि खोजता हूँ / हरिवंशराय बच्चन
- प्यार, जवानी, जीवन / हरिवंशराय बच्चन
- गरमी में प्रात:काल / हरिवंशराय बच्चन
- ओ पावस के पहले बादल / हरिवंशराय बच्चन
- खींचतीं तुम कौन ऐसे बंधनों से / हरिवंशराय बच्चन
- तुमको मेरे प्रिय प्राण निमंत्रण देते / हरिवंशराय बच्चन
- प्राण, संध्या झुक गई गिरि / हरिवंशराय बच्चन
- सखि, अखिल प्रकृति की प्यास / हरिवंशराय बच्चन
- सखि, यह रंगों की रात नहीं सोने की / हरिवंशराय बच्चन
- प्रिय, शेष बहुत है रात अभी मत जाओ / हरिवंशराय बच्चन
- सुधि में संचित वह साँझ / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन की आपाधापी में / हरिवंशराय बच्चन
- कुदिन लगा, सरोजिनी सजा न सर / हरिवंशराय बच्चन
- समेट ली किरण कठिन दिनेश ने / हरिवंशराय बच्चन
- समीर स्नेह-रागिनी सुना गया / हरिवंशराय बच्चन
- पुकारता पपीहरा पि...या पि...या / हरिवंशराय बच्चन
- सुना कि एक स्वर्ग शोधता रहा / हरिवंशराय बच्चन
- उसे न विश्व की विभूतियाँ दिखीं / हरिवंशराय बच्चन