भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आराधना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
Kavita Kosh से
आराधना
रचनाकार | सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" |
---|---|
प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन |
वर्ष | फरवरी ०३, १९९८ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 108 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- पद्मा के पद को पाकर हो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- यह संसार सभी बदला है / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दुख भी सुख का बन्धु बना / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सीधी राह मुझे चलने दो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- मरा हूँ हजार मरण / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- अरघान की फैल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दुखता रहता है अब जीवन / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- सुख का दिन डूबे डूब जाए / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- छलके छल के पैमाने क्या! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- हे मानस के सकाल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- तप के बन्धन बाँधो, बाँधो! / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- जावक-जय चरणों पर छाई / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- खिरनी के पेड़ के तले / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"