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आत्म-बोध / मृदुल कीर्ति
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ॐ
श्री गणेशाय नमः
गुरु वंदना
गुरु पद कमल शंकरानंदा, नमित पाऊँ सत-चित-आनंदा
मोह ग्राह गुरु कृपा छुड़ावा, आत्म-बोध तेहि कृपा सों पावा