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आए भुजबंध दये ऊधव सखा कैं कंध | आए भुजबंध दये ऊधव सखा कैं कंध | ||
− | डग-मग पाय मग धरत धराये हैं । | + | ::डग-मग पाय मग धरत धराये हैं । |
कहै रतनाकर न बूझैं कछु बोलत औ, | कहै रतनाकर न बूझैं कछु बोलत औ, | ||
− | खोलत न नैन हूँ अचैन चित छाए हैं ॥ | + | ::खोलत न नैन हूँ अचैन चित छाए हैं ॥ |
पाइ बहै कंच मैं सुगंध राधिका को मंजु | पाइ बहै कंच मैं सुगंध राधिका को मंजु | ||
− | ध्याए कदली-बन मतंग लौ मताये हैं। | + | ::ध्याए कदली-बन मतंग लौ मताये हैं। |
कान्ह गये जमुना नहान पै नए सिर सौं | कान्ह गये जमुना नहान पै नए सिर सौं | ||
− | नीकै तहाँ नेह का नदी मैं न्हाइ आए हैं ॥२॥ | + | ::नीकै तहाँ नेह का नदी मैं न्हाइ आए हैं ॥२॥ |
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09:39, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
आए भुजबंध दये ऊधव सखा कैं कंध
डग-मग पाय मग धरत धराये हैं ।
कहै रतनाकर न बूझैं कछु बोलत औ,
खोलत न नैन हूँ अचैन चित छाए हैं ॥
पाइ बहै कंच मैं सुगंध राधिका को मंजु
ध्याए कदली-बन मतंग लौ मताये हैं।
कान्ह गये जमुना नहान पै नए सिर सौं
नीकै तहाँ नेह का नदी मैं न्हाइ आए हैं ॥२॥