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आवत सुभाष रात सपने में देखी ‘नाथ’।
संग चालीस लक्ष्य सैन बलवान है॥
जल चर, थल चर, यान हूँ अनेकन हैं।
टैंक, लौरी, कारन में भारी सामान है॥
भारत आजाद हेत, आयौ द्वार भारत के।
क्राँतिकारी नेता याकौ जानत जहान है॥
‘माँत जय भारत की’ बोल रहे चारों ओर।
शोर भयौ भारी साथ नाजी ना जापान हैं॥