भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आवत सुभाष रात सपने में देखी ‘नाथ’ / नाथ कवि
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:20, 18 जनवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाथ कवि |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBrajBhashaRa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आवत सुभाष रात सपने में देखी ‘नाथ’।
संग चालीस लक्ष्य सैन बलवान है॥
जल चर, थल चर, यान हूँ अनेकन हैं।
टैंक, लौरी, कारन में भारी सामान है॥
भारत आजाद हेत, आयौ द्वार भारत के।
क्राँतिकारी नेता याकौ जानत जहान है॥
‘माँत जय भारत की’ बोल रहे चारों ओर।
शोर भयौ भारी साथ नाजी ना जापान हैं॥