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खाली अपने सुर नै तानोॅ / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

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खाली अपने सुर नै तानोॅ
कहिया होतै दिवस सुहानोॅ?

लोग बुझेॅ कि जगलोॅ कोय छै
कुछ गल्लोॅ केॅ हेनोॅ टानोॅ।

केना ई बाजार चलै छै
आलू-बैगन वड़लोॅ-कानोॅ।

लोग प्यास सेॅ मरलोॅ जाय छै
पथरोॅ पर तोंय कुइयाँ खानोॅ।

बिना सुदिन के कुछ नै मिलथौं
कत्तोॅ उछलोॅ, कूदोॅ फानोॅ।