भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती / निदा फ़ाज़ली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
शायर: [[निदा फ़ाज़ली]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:गज़ल]]
+
|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली
[[Category:निदा फ़ाज़ली]]
+
}}
 
+
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
+
 
+
 
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती<br>
 
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती<br>
 
ख़ैरात में इतनी बङी दौलत नहीं मिलती<br><br>
 
ख़ैरात में इतनी बङी दौलत नहीं मिलती<br><br>

19:04, 24 जून 2009 का अवतरण

दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बङी दौलत नहीं मिलती

कुछ लोग यूँही शहर में हमसे भी ख़फा हैं
हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती

देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद
वो कौन है जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती

हंसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत
रोने को यहाँ वैसे भी फुरसत नहीं मिलती