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"दुख को सुमुख बनाओ, गाओ / जानकीवल्लभ शास्त्री" के अवतरणों में अंतर

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दुख को सुमुख बनाओ, गाओ !
 
दुख को सुमुख बनाओ, गाओ !
 
काली घटा छंटेगी कैसे ?
 
काली घटा छंटेगी कैसे ?

17:54, 6 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण


दुख को सुमुख बनाओ, गाओ !
काली घटा छंटेगी कैसे ?
रिमझिम-रिमझिम स्वर बरसाओ !

कौन सुने करुणा की वाणी ?
दीन दृगों के आँसू पानी !
पर अगीत संगीत अभी भी, -
इसका लयमय भेद बताओ !

असह सहो दृढ़ प्राण बनाओ,
अश्रुकणों को गान बनाओ,
जब सुख छिटके चन्द्रकिरण बन
सजल नयन झुक, चुप हो जाओ !
('उत्पल दल')