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मृगजल के गुंतारे / शशिकान्त गीते
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मृगजल के गुंतारे
रचनाकार | शशिकान्त गीते |
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प्रकाशक | ज्ञान साहित्य घर, 1216/1, मिर्जा ग़ालिब मार्ग, मढ़ाताल, जबलपुर, मध्यप्रदेश |
वर्ष | प्रथम संस्करण - 1994 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | 66 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- भूमिका / श्रीकान्त जोशी / शशिकान्त गीते
- दुनिया जादू - मन्तर की / शशिकान्त गीते
- गूलर के फूल / शशिकान्त गीते
- क्यों रे भोला ! / शशिकान्त गीते
- एक टुकड़ा धूप / शशिकान्त गीते
- कागा मत बोल रे ! / शशिकान्त गीते
- घुलता दिन / शशिकान्त गीते
- दिन हुआ बूढ़ा हलाकू / शशिकान्त गीते
- हल करते जीवन / शशिकान्त गीते
- शोहरत है शाह की / शशिकान्त गीते
- बोल चिरैया / शशिकान्त गीते
- छिपकली की पूँछ से / शशिकान्त गीते
- मेरे आँगन / शशिकान्त गीते
- मृगजल के गुंतारे (नवगीत) / शशिकान्त गीते
- संकल्पों झूल आ गए / शशिकान्त गीते
- संस्कारों पर क़हर / शशिकान्त गीते
- इक राजा था, इक रानी थी / शशिकान्त गीते
- रुग्ण सदी का जीवन / शशिकान्त गीते
- थोपे बंजर / शशिकान्त गीते
- नदों के क़द / शशिकान्त गीते
- धार समय की / शशिकान्त गीते
- कभी हम / शशिकान्त गीते
- अपशगुनी पाँव / शशिकान्त गीते
- टुकड़ा भर छाँव / शशिकान्त गीते
- चेतना में बलवटे / शशिकान्त गीते
- उमस चढ़ी उदासी / शशिकान्त गीते
- फूल, फूल हैं / शशिकान्त गीते
- यातनाओं के शिविर / शशिकान्त गीते
- एक मछली सिरफिरी / शशिकान्त गीते
- घिनौना आचरण / शशिकान्त गीते
- ओ मेरे मन ! / शशिकान्त गीते
- अंतर के इन्द्रधनुष / शशिकान्त गीते
- धूर्त शोर में / शशिकान्त गीते
- सम्वेदन के शव पर / शशिकान्त गीते
- तलहटी में / शशिकान्त गीते
- सूरज की सत्ता / शशिकान्त गीते
- अन्तर्मुखी दिन / शशिकान्त गीते
- बिगड़े ताले / शशिकान्त गीते
- बचपन के दिन / शशिकान्त गीते
- रोशनी है अधमरी / शशिकान्त गीते
- रात काटती / शशिकान्त गीते
- रीढ़ में चाकू / शशिकान्त गीते
- है समय यह गोंच - सा / शशिकान्त गीते
- मस्ती के फाग / शशिकान्त गीते
- दुखों के स्तूप / शशिकान्त गीते
- मेरा डेढ़ बरस का बच्चा / शशिकान्त गीते
- आवरण झीना / शशिकान्त गीते
- लोक अपना / शशिकान्त गीते
- चिरैया फुर्र हो गई / शशिकान्त गीते
- काल जब होता निकट / शशिकान्त गीते
- फ़र्श अपाहिज / शशिकान्त गीते
- दिन दुत्कारे / शशिकान्त गीते
- भैंस सुनती बाँसुरी / शशिकान्त गीते
- फूलों की घाटी में / शशिकान्त गीते