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[[Category:लम्बी रचना]]
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(1214)जटायुसे भेण्टमेरे एकौ हाथ न लागी नीके कै जानत राम हियो हौं |गयो बपु बीति बादि कानन ज्यों कलपलता दव दागी प्रनतपाल, सेवक-कृपालु-चित, पितु पटतरहि दियो हौं ||
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