भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार = सरदार अंजुम
|संग्रह=
<poem>
 
1).
अपाहिज बनके जीने की अदा अच्छी नहीं लगती
फरवरी 2013 में हैदराबाद धमाकों पर
 
</poem>
24
edits