भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गोडसे जी / कुमार मुकुल

2 bytes added, 07:31, 4 अक्टूबर 2019
<poem>
काम हैं गब्‍बर से
और सूरत है भोलीगोडसे भोलीगोडसे जी आप खूब
करते हो ठिठोली
पहले छूते हो पांव
फिर मारते हो गोलीअदा गोलीअदा है खूब लो यह
अक्षत,चंदन, रोली।
</poem>
773
edits