भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
क्यूँ उसे इतना सताती गर्मियों की ये दुपहरी।
आम का इक एक पेड़ अब भी राह मेरी देखता है,
याद मुझको है दिलाती गर्मियों की ये दुपहरी।
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits