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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय|संग्रह=सूखे होंठों की प्यास तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
लो, ख़ुश रहो उठाकर तुम, इस हथेली से मेरी
सूरज के एक टुकड़े-सी, मीठे मधु की ये ढेरी
हम से कही यह बात पेर्सेफ़ोना<ref>यूनानी मिथक परम्परा में मृत्युलोक की देवी</ref> की मधुमक्खी ने
कोई खोल नहीं सकता पहले से खुली नाव को
रात के झीने झुरमुट में सरसरा रही हैं वे
ताइगा<ref>शंकु-वृक्षों के सघन साइबेरियाई वन-क्षेत्र</ref> के घने वन में घर बना रही हैं वे
समय, पराग और गंध ही भोजन है उनका
लो, ज़रा मुझ से भैया, उपहार यह जंगली ले लो
सूखी-मृत मक्खियों की, अदृश्य ये मंगली<ref>माला</ref> ले लो
मधु बदल गया मेरा अब सूरज के टुकड़े में
(रचनाकाल : नवम्बर 1920)
1920 г.
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