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गंधर्व कवि पं. नन्दलाल
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गन्धर्व कवि पं. नन्दलाल
जन्म | 29 अक्टूबर, 1913 |
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निधन | 27 अक्टूबर, 1963 |
उपनाम | नन्दू |
जन्म स्थान | गाँव- पात्थरआळी,
जिला- भिवानी, हरियाणा (भारत) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
सन 1960 मे हरियाणा-पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री प्रताप सिंह कैरव द्वारा राजधानी चंडीगढ़ मे 35 लोककवियों के एक सम्मलेन में प्रथम पुरस्कार के रूप मे 1100/- रुपये की राशि प्रदान की और इस सम्मेलन के प्रथम पुरस्कार विजेता की घोषणा एक अख़बार के माध्यम से की थी | |
जीवन परिचय | |
गन्धर्व कवि पं. नन्दलाल / संक्षिप्त परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- कहूँ जन्म कथा भगवान की, सर्व संकट हरणे वाली / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- गुलिस्तान की छवि कहैं, क्या ऐसा आलीशान बण्या / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- क्यों फिरै भरमति सुरति / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- मर्दा बिन लुगाई सुन्नी, घर सुन्ना बिन बीर / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- सुख चाह्वै जीवन का बंदे उस मालिक का नाम ले / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- पाटी जा रही भूजा आपकी, कज़ा सम समझ ध्वजा आपकी / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- उपदेशक दौड़ - विराट पर्व / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- जुए कैसा खेल नहीं, जै हार ना हो तो / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- अन्धे माणस कै लेखै, रहता है सदा अंधेरा / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- के रसना रूकगी, बोल्या ना जाता री / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- पुत्र जन्मया बंटी बधाई, बाटण लागे चाव मिठाई / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- बगीचे मं घूम रही, सखियों की टोळी रै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- या दुख पावै थारी नार सति हो , हो रही सै मेरी बुरी गति हो / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- मिलके गल काटण आले का, हाँ भरकै नाटण आले का / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- बिना विचारे काम करै जो, उसके जी नै रासा हो सै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- करुणा कर कृष्ण कृपालु, कृपा कर भगवान तुही / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- ब्याह शादी मैं चाब मिठाई बांटे पुष्प बतासे जां सै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- एक बार फळ पाक लिये ना फेर पाकैं सैं / लोककवि शिष्य बेगराज
- गरजण लागे मादरदेशी मतन्या बात बणाओ ऐसी / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- सच्चे मित्र थोड़े ज्यादा हैं मतलब के यार सुणों / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- दिलदार यार के मिले बिना पलभर ना चैन पड़ै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- विष देदे विश्वास नहीं दे धोखा करणा बात बुरी सै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- बणकैं बींद आ गया ब्याहवण,बाँध शीश पै सेहरा / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- छाती मै घा कर दे कड़वा बोल लुगाई का / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- सभा बीच मै मनुष्य धनुष नै ठावण आळा कौण सै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- कवि भगत व्यापारी, भुखे भाव के होते / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- भक्ति और तपस्या करणा, आपा मारे हो सै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- कौण सुणै किसनै कहदूं, एक ऐसी बात हुई सै हो हो मेरे राम / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- ऐसी वाणी मतना बोलै, कोन्या मनै सुहावै पापी / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- कलुकाल के बीच महा पाप हो रहे / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- तेरे जैसी बीर दुसरी जहान मैं कोन्या / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- आज नशे मैं शैलैन्द्री, मनै बङी दिखाई दे / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- मिनटा के म्ह हंसै लुगाई, मिनट मै रो लुगाई दे / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- थोड़ी सी जिन्दगानी खातिर, नर क्या क्या तौफान करै / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- जमीदार का फर्ज बख्त पै, खेती नै बोवण का हो / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- कर रैन बसेरा होया सबेरा, ले ज्या हँस उडारी तूँ / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल
- कौण देश तैं आई सै, हे कौण देश तूँ जागी / गन्धर्व कवि प. नन्दलाल