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गीता में की की छै? / कनक लाल चौधरी 'कणीक'
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गीता में की की छै?
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रचनाकार | कनक लाल चौधरी 'कणीक' |
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प्रकाशक | नीलकमल प्रकाशन, नई दिल्ली - 110092 |
वर्ष | 2003 |
भाषा | अंगिका |
विषय | श्रीमद्भगवद्गीता का अंगिका रूपान्तर |
विधा | |
पृष्ठ | 56 |
ISBN | |
विविध | श्रीमद्भगवद्गीता के प्रत्येक अध्याय के अलगे-अलग सन्देशा आरो सार सहित प्रत्येक श्लोकोॅ के पद्यानुवाद |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
अध्याय
- पहलोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- दोसरोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- तेसरोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- चौथोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- पाँचमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- छठमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- सातमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- आठमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- नौमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- दशमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- एगारमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- बारमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- तेरमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- चौदमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- पनरमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- सोलमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- सतरमोॅ अध्याय / गीता / कणीक
- अठारमोॅ अध्याय / गीता / कणीक