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12:54, 27 मई 2008 के समय का अवतरण
दी हुई दुनिया
रचनाकार | भगवत रावत |
---|---|
प्रकाशक | प्रकाशन संस्थान, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 1981 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 118 |
ISBN | |
विविध |
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- हवा में उड़्ती हुई दुनिया और धरती के बीच/ भगवत रावत
- अभी मुझे जाना है/ भगवत रावत
- चिड़ियों को पता नहीं / भगवत रावत
- गहरी थकान में / भगवत रावत
- सोने से पहले / भगवत रावत
- बहुत दिनों बाद / भगवत रावत
- वे दोनों / भगवत रावत
- आज रात / भगवत रावत
- बिटिया / भगवत रावत
- आँच / भगवत रावत
- छपे हुए फूल पर झीना काग़ज़ रखकर/ भगवत रावत
- घिरा हुआ दुखों से / भगवत रावत
- सुबह होती हुई / भगवत रावत
- उसकी थकान / भगवत रावत
- बाहर जाने की जल्दी / भगवत रावत
- कविता के अलावा / भगवत रावत
- उसका जाना / भगवत रावत
- शरीर से ज्यादा / भगवत रावत
- उसने सोचा / भगवत रावत
- लिखते हुए / भगवत रावत
- जहाँ तुमने / भगवत रावत
- हाथ बढ़ाओ / भगवत रावत
- कहाँ-कहाँ / भगवत रावत
- उस समय वहाँ आसमान सकते की हालत में था/ भगवत रावत
- ठीक पेड़ के नीचे / भगवत रावत
- वहाँ एक शहर है / भगवत रावत
- अब मुझे भी / भगवत रावत
- उस आदमी से कहो / भगवत रावत
- कैसे बताऊँ उन्हें / भगवत रावत
- अपना गाना / भगवत रावत
- चट्टानें / भगवत रावत
- बीच जंगल में / भगवत रावत
- पता / भगवत रावत
- जब कभी मैं / भगवत रावत
- बलात्कार / भगवत रावत
- इंतजार / भगवत रावत
- डर / भगवत रावत
- कविता के बहाने / भगवत रावत
- आने की उम्मीद / भगवत रावत
- उसे पैदा करना होता है / भगवत रावत
- जोड़-जाड़ कर जुटी घरेलू दुनिया/ भगवत रावत
- बचपन / भगवत रावत
- वह माँ ही थी / भगवत रावत
- बोझ / भगवत रावत
- वह काम आयेगा / भगवत रावत
- प्यारे लाल के लिए विदा-गीत / भगवत रावत
- नक़द-उधार / भगवत रावत