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सोरठा
(कवि प्रार्थना-वर्णन)
रसिक छमैंगे भूल, ग्रंथ लिख्यौ जिनके हितै ।
पढ़त-गुनत सुख-मूल, प्रति आखर सबकौं सुखद ॥