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* [[नींदों के सिमट गए माप / धनंजय सिंह]]
 
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* [[लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर / धनंजय सिंह]]
 
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पलाश दहके हैं
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रचनाकार धनंजय सिंह
प्रकाशक शुभम् प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032
वर्ष 1997
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 72
ISBN
विविध
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