भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"राजीव भरोल 'राज़'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatHimachal}} | {{KKCatHimachal}} | ||
− | + | {{KKShayar}} | |
+ | ====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ==== | ||
*[[मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया / राजीव भरोल 'राज़']] | *[[मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[यहाँ सच बोलना जोखिम भरा है / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
*[[कहाँ तिशनगी के नजारें मिलेंगे / राजीव भरोल]] | *[[कहाँ तिशनगी के नजारें मिलेंगे / राजीव भरोल]] | ||
*[[मेरी हिम्मत के पौधे को वो आकर सींच जाती है / राजीव भरोल]] | *[[मेरी हिम्मत के पौधे को वो आकर सींच जाती है / राजीव भरोल]] | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 26: | ||
*[[यहाँ मुस्कुराना बहुत लाज़मी है / राजीव भरोल]] | *[[यहाँ मुस्कुराना बहुत लाज़मी है / राजीव भरोल]] | ||
*[[इश्क़ पर ये इम्तिहाँ फिर आ पड़ा है / राजीव भरोल]] | *[[इश्क़ पर ये इम्तिहाँ फिर आ पड़ा है / राजीव भरोल]] | ||
− | + | *[[तुम्हारी सोच के सांचे में ढल भी सकता था / राजीव भरोल 'राज़']] | |
+ | *[[पड़ा हुआ जो ये पानी में जाल है साहब / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[किसी सूरत ग़मे दिल का मदावा हो नहीं सकता / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[जिसको काँटा नहीं चुभा होगा / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[बड़ी शिद्दत से पहले तो वो अपने घर बुलाता है / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[बुलंदियों से हमें यूँ तो डर नहीं लगता / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[कहीं चौखट कहीं छप्पर नहीं है / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[उसने आईने रख दिए हर सू / राजीव भरोल]] | ||
+ | *[[जहाँ कहीं हमें दाने दिखाई देते हैं / राजीव भरोल]] | ||
+ | *[[किसी सूरत ग़मे दिल का मदावा हो नहीं सकता / राजीव भरोल]] | ||
+ | *[[प्यास का कोई यहाँ हल नहीं होने वाला / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[जुनूने शौक़ अगर है तो हिचकिचाना क्या / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[बतला रहा हूँ यूं तो मैं सब कुछ सही सही / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[देखा जाए तो भला चाहती है / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[हैरान है दरिया ये मंज़र देख कर / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[तेरी ख़ुशबू फ़िज़ाओं में बिखर जाए तो अच्छा हो / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[आँखों में थे सितारे, हर ख़ाब था गुलाबी / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[कब मुझे रास्ता दिखाती है / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[आईना ही जब झूठा हो जाता है / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[उसे उसी की ये कड़वी दवा पिलाते हैं / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[आपकी इमदाद कर सकता हूँ मैं / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[आमों की ख़ुशबू में लिपटी गर्मियों की वो दुपहरी / राजीव भरोल 'राज़']] | ||
+ | *[[मेरे बचपन की निशानी है अभी तक गाँव में / राजीव भरोल 'राज़']] |
19:17, 21 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
राजीव भरोल
जन्म | 04 अप्रैल 1971 |
---|---|
जन्म स्थान | इंदौरा, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
राजीव भरोल / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया / राजीव भरोल 'राज़'
- यहाँ सच बोलना जोखिम भरा है / राजीव भरोल 'राज़'
- कहाँ तिशनगी के नजारें मिलेंगे / राजीव भरोल
- मेरी हिम्मत के पौधे को वो आकर सींच जाती है / राजीव भरोल
- गाँव जब जाओ तो कुछ उपचार उनसे पूछना / राजीव भरोल
- तुम हो बहती तेज नदिया और मिट्टी का बना मैं / राजीव भरोल
- जिस शजर पर तुम हमेशा फैंकते पत्थर रहे हो / राजीव भरोल
- मैं चाहता हूँ मैं सचमुच अमीर हो जाऊँ / राजीव भरोल
- वतन, गाँव, घर याद आते बहुत थे / राजीव भरोल
- यहाँ मुस्कुराना बहुत लाज़मी है / राजीव भरोल
- इश्क़ पर ये इम्तिहाँ फिर आ पड़ा है / राजीव भरोल
- तुम्हारी सोच के सांचे में ढल भी सकता था / राजीव भरोल 'राज़'
- पड़ा हुआ जो ये पानी में जाल है साहब / राजीव भरोल 'राज़'
- किसी सूरत ग़मे दिल का मदावा हो नहीं सकता / राजीव भरोल 'राज़'
- जिसको काँटा नहीं चुभा होगा / राजीव भरोल 'राज़'
- बड़ी शिद्दत से पहले तो वो अपने घर बुलाता है / राजीव भरोल 'राज़'
- बुलंदियों से हमें यूँ तो डर नहीं लगता / राजीव भरोल 'राज़'
- कहीं चौखट कहीं छप्पर नहीं है / राजीव भरोल 'राज़'
- उसने आईने रख दिए हर सू / राजीव भरोल
- जहाँ कहीं हमें दाने दिखाई देते हैं / राजीव भरोल
- किसी सूरत ग़मे दिल का मदावा हो नहीं सकता / राजीव भरोल
- प्यास का कोई यहाँ हल नहीं होने वाला / राजीव भरोल 'राज़'
- जुनूने शौक़ अगर है तो हिचकिचाना क्या / राजीव भरोल 'राज़'
- बतला रहा हूँ यूं तो मैं सब कुछ सही सही / राजीव भरोल 'राज़'
- देखा जाए तो भला चाहती है / राजीव भरोल 'राज़'
- हैरान है दरिया ये मंज़र देख कर / राजीव भरोल 'राज़'
- तेरी ख़ुशबू फ़िज़ाओं में बिखर जाए तो अच्छा हो / राजीव भरोल 'राज़'
- आँखों में थे सितारे, हर ख़ाब था गुलाबी / राजीव भरोल 'राज़'
- कब मुझे रास्ता दिखाती है / राजीव भरोल 'राज़'
- आईना ही जब झूठा हो जाता है / राजीव भरोल 'राज़'
- उसे उसी की ये कड़वी दवा पिलाते हैं / राजीव भरोल 'राज़'
- आपकी इमदाद कर सकता हूँ मैं / राजीव भरोल 'राज़'
- आमों की ख़ुशबू में लिपटी गर्मियों की वो दुपहरी / राजीव भरोल 'राज़'
- मेरे बचपन की निशानी है अभी तक गाँव में / राजीव भरोल 'राज़'