भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पलाश दहके हैं / धनंजय सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
}} | }} | ||
{{KKPustak | {{KKPustak | ||
− | |चित्र= | + | |चित्र=Dhananjay Singh (Book).jpg |
|नाम=पलाश दहके हैं | |नाम=पलाश दहके हैं | ||
|रचनाकार=[[धनंजय सिंह]] | |रचनाकार=[[धनंजय सिंह]] |
02:56, 24 मई 2024 के समय का अवतरण
पलाश दहके हैं
रचनाकार | धनंजय सिंह |
---|---|
प्रकाशक | शुभम् प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 1997 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | नवगीत-संग्रह |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | 104 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- उग आई नागफनी / धनंजय सिंह
- मौन की चादर / धनंजय सिंह
- नींदों के सिमट गए माप / धनंजय सिंह
- लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर / धनंजय सिंह
- बेच दिए हैं मीठे सपने / धनंजय सिंह
- जंगल उग आए / धनंजय सिंह
- दिन क्यों बीत गए / धनंजय सिंह
- प्रहर-दिवस-मास-वर्ष बीते / धनंजय सिंह
- अब डर लग रहा है / धनंजय सिंह
- झाँकते हैं फिर नदी में पेड़ / धनंजय सिंह
- शहर बहुत दूर है / धनंजय सिंह
- क्या सुनाऊँ / धनंजय सिंह
- कक्षा से भटका हुआ उपग्रह हूँ / धनंजय सिंह
- फँस गई है छपछपाती नाव / धनंजय सिंह
- फिर सूख गई मौसमी नदी / धनंजय सिंह
- फूल सरसों के / धनंजय सिंह
- हो गया दक्षिण स्वयं ही वाम / धनंजय सिंह
- फूटा गीत नया / धनंजय सिंह
- ज्यों डूबे जहाज़ का पंछी / धनंजय सिंह
- फिर उतर आई वनों में साँझ / धनंजय सिंह
- पानी में पत्थर की नाव / धनंजय सिंह
- उतर गए चीलों के झुण्ड / धनंजय सिंह
- डाली-डाली पलाश दहके हैं पर... / धनंजय सिंह
- स्वप्निल आकांक्षा / धनंजय सिंह
- आ न सकूँगा / धनंजय सिंह
- चन्दन-वन महकने लगा / धनंजय सिंह
- ध्वन्यालोकी प्रियंवदाएँ / धनंजय सिंह
- डायरी के किसी पृष्ठ पर / धनंजय सिंह
- सीमाब से गुज़रता हूँ / धनंजय सिंह
- अब तो सड़कों पर / धनंजय सिंह
- धुन्धमय आकाश का मौसम / धनंजय सिंह
- छा गई चुप्पी / धनंजय सिंह
- क्या कहिए / धनंजय सिंह
- झर गए पत्ते / धनंजय सिंह
- धुल गईं सड़कें / धनंजय सिंह
- तू कहाँ की बात को लेकर / धनंजय सिंह
- गिर गया... / धनंजय सिंह
- जब बात चल पड़ी / धनंजय सिंह
- मेला देखूँ / धनंजय सिंह
- एक रोशनदान था... / धनंजय सिंह
- अनायास नहीं / धनंजय सिंह
- बन्द है नीली झील का हिलना / धनंजय सिंह
- रास्ता इधर से है / धनंजय सिंह
- मानुस-बनमानुस / धनंजय सिंह
- समानान्तर साथ-साथ / धनंजय सिंह
- ज़रूरी है : ज़रूरी नहीं है / धनंजय सिंह
- समुद्र तक की यात्रा नहीं / धनंजय सिंह
- बदलाव / धनंजय सिंह
- यात्रान्त / धनंजय सिंह
- आत्म-निर्वासन / धनंजय सिंह
- अपने कमरे में तुम / धनंजय सिंह
- सहधर्म-1 / धनंजय सिंह
- सहधर्म-2 / धनंजय सिंह
- दायित्त्व / धनंजय सिंह
- सूर्यास्त / धनंजय सिंह
- ध्वजारोहण / धनंजय सिंह
- वन्दे मातरम् / धनंजय सिंह
- उत्साह / धनंजय सिंह
- विश्राम / धनंजय सिंह
- चेहरे / धनंजय सिंह
- पथराया अहसास / धनंजय सिंह
- याद एक गुनगुनाती हुई ख़ुशबू की / धनंजय सिंह
- अजनबी सन्दर्भों के बीच से गुज़रते हुए / धनंजय सिंह
- यक्ष-प्रश्न / धनंजय सिंह
- शायद यही / धनंजय सिंह
- सूरज का ख़ून और गीली धरती / धनंजय सिंह