भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: * हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं / आरज़ू लखनवी *[[ आके क़...) |
|||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
*[[ खुद चले आओ या बुला भेजो / आरज़ू लखनवी ]] | *[[ खुद चले आओ या बुला भेजो / आरज़ू लखनवी ]] | ||
*[[ क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्लतक पहुंची / आरज़ू लखनवी ]] | *[[ क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्लतक पहुंची / आरज़ू लखनवी ]] | ||
+ | *[[ अब मुझको फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या / आरज़ू लखनवी ]] | ||
+ | *[[ इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई / आरज़ू लखनवी ]] | ||
+ | *[[ मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र / आरज़ू लखनवी ]] | ||
+ | *[[ रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से / आरज़ू लखनवी ]] | ||
+ | *[[ आ गई मंज़िलें-मुराद, बांगेदरा को भूल जा / आरज़ू लखनवी ]] | ||
+ | *[[ क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता / आरज़ू लखनवी ]] | ||
+ | *[[ नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं / आरज़ू लखनवी ]] | ||
*[[ / आरज़ू लखनवी ]] | *[[ / आरज़ू लखनवी ]] |
19:56, 23 सितम्बर 2009 का अवतरण
- हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं / आरज़ू लखनवी
- आके क़ासिद ने कहा जो, वही अक्सर निकला / आरज़ू लखनवी
- नादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जाना / आरज़ू लखनवी
- दिल का जिस शख़्स के पता पाया / आरज़ू लखनवी
- यह मेरी तौबानतीजा है बुख़लेसाक़ी का / आरज़ू लखनवी
- हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया / आरज़ू लखनवी
- जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक / आरज़ू लखनवी
- जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं / आरज़ू लखनवी
- मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं / आरज़ू लखनवी
- तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार / आरज़ू लखनवी
- खुद चले आओ या बुला भेजो / आरज़ू लखनवी
- क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्लतक पहुंची / आरज़ू लखनवी
- अब मुझको फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या / आरज़ू लखनवी
- इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई / आरज़ू लखनवी
- मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र / आरज़ू लखनवी
- रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से / आरज़ू लखनवी
- आ गई मंज़िलें-मुराद, बांगेदरा को भूल जा / आरज़ू लखनवी
- क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता / आरज़ू लखनवी
- नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं / आरज़ू लखनवी
- / आरज़ू लखनवी