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+ | * [[गफ़लत में वक़्त अपना न खो होशियार हो / वली दक्कनी]] | ||
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+ | * [[जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे / वली दक्कनी]] | ||
+ | * [[याद करना हर घड़ी उस यार का / वली दक्कनी]] |
01:32, 28 जून 2008 का अवतरण
वली दक्कनी की रचनाएँ
वली दक्कनी
जन्म | 1667 |
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निधन | 1707 |
उपनाम | वली |
जन्म स्थान | औरंगाबाद, महाराष्ट्र, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
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विविध | |
वली दक्कनी का मूल नाम वली मोहम्मद था और इन्हें वली गुजराती के नाम से भी जाना जाता है। | |
जीवन परिचय | |
वली दक्कनी / परिचय |
- याद करना हर घडी़ उस यार का / वली मोहम्मद 'वली'
- दिल को लगती है / वली मोहम्मद 'वली'
- फ़िराके-गुजरात / वली मोहम्मद 'वली'
- तुझ लब की सिफ़त / वली मोहम्मद 'वली'
- आहिस्ता आहिस्ता / वली मोहम्मद 'वली'
- जिसे इश्क़ का तीरे कारी लगे / वली मोहम्मद 'वली'
- रूह बख़्शी है काम तुझ लब का / वली दक्कनी
- देखना हर सुब्ह तुझ रुख़सार का / वली दक्कनी
- तुझ लब की सिफ़्त लाल—ए—बदख़्शाँ सूँ कहूँगा / वली दक्कनी
- किया मुझ इश्क़ ने ज़ालिम / वली दक्कनी
- अयाँ है हर तरफ़ आलम में / वली दक्कनी
- गफ़लत में वक़्त अपना न खो होशियार हो / वली दक्कनी
- मुद्दत हुई सजन ने दिखाया नहीं जमाल / वली दक्कनी
- उसकूँ हासिल क्योंकर होए जग में / वली दक्कनी
- जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे / वली दक्कनी
- याद करना हर घड़ी उस यार का / वली दक्कनी