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+ | *[[प्यार का रंग हजारों से अलग होता है ]] | ||
+ | *[[प्यार किस तरह उनको समझायें! ]] | ||
+ | *[[प्यार दिल में है अगर प्यार से दो बात भी हो]] | ||
+ | *[[पाँव तो उस गली में धरते हैं ]] | ||
+ | *[[फूल अब शाख से झड़ता-सा नज़र आता है ]] | ||
+ | *[[बात ऐसे तो बहुत होके रही अपनी जगह ]] | ||
+ | *[[बेझिझक, बेसाज़, बेमौसम के आ ]] | ||
+ | *[[भेंट उसने गुलाब की ले ली ]] | ||
+ | *[[मुझे देखते रहे जो बड़ी बेरुखी से पहले ]] | ||
+ | *[[मेरी चाह उस नज़र में है, कभी है, कभी नहीं है ]] | ||
+ | *[[यह प्यार दगा दे, कभी ऐसा नहीं होगा ]] | ||
+ | *[[यों ख्यालों में उभरता है एक हसीन-सा नाम ]] | ||
+ | *[[यों तो निशान पाँव का मिलता है यहीं तक ]] | ||
+ | *[[यों तो सभी से मेल-मुहब्बत है राह में ]] | ||
+ | *[[राह हमको लिए जाती है कहाँ, कौन कहे! ]] |
01:40, 21 मई 2010 का अवतरण
हर सुबह एक ताज़ा गुलाब

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रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | भक्ति गीत |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अब कहाँ मिलने की सूरत रह गयी!
- अब कोई प्यार की पहल तो करे
- अब उन हसीन अदाओं का रंग छूट गया
- आ, कि अब भोर की यह आख़िरी महफ़िल बैठे
- आप और घर पे हमारे, क्या खूब!
- आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से!
- इन आँसुओं से तुम अपना दामन सजा रहे थे, पता नहीं था
- उसने करवा दी मुनादी शहर में इस बात की --
- कभी दो क़दम, कभी दस क़दम, कभी सौ क़दम भी निकल सके
- कभी होठों पे दिल की बेबसी लाई नहीं जाती
- कहने को तो वे हमपे मेहरबान बहुत हैं
- कहाँ आ गए चलके हम धीरे-धीरे
- क्या छिपी है अब हमारे दिल की हालत आपसे!
- कुछ और चाँद के ढलते सँवर गयी है रात
- कुछ और भी है उन आँखों की बेज़ुबानी में
- ख़त्म उनपर हैं सभी शोखियाँ ज़माने की
- ख्वाब समझें कि वाक़या समझें
- चैन न आया दिल को घड़ी भर, हरदम वार पे वार हुए
- ज़माने भर की निगाहों से टालकर लाये
- ज़िन्दगी मरने से घबराती भी है
- ज़िन्दगी में यह सवाल उठाता है अक्सर, क्या करें!
- जीने का कोई हासिल न मिला आखिर यह उम्र तमाम हुई
- जो यहाँ पे आये थे सैर को, नहीं फिर वे लौटके घर गये
- जो सच कहें तो ये कुल सल्तनत हमारी है
- तुझसे लड़ जाय नज़र हमने ये कब चाहा था!
- तेरी बेरुखी ने मुझको ये हसीन ग़म दिया है
- दर्द को हँसकर उडाना चाहिए
- दिन गुज़रते गये, रात होती रही
- दिल को हमारे प्यार का धोखा तो नहीं है
- दिल हमें देखकर कुछ देर को धड़का होता
- दिए तो है रौशनी नहीं है, खड़े हैं बुत ज़िन्दगी नहीं है
- न छोड़ यों मुझे, ऐ मेरी ज़िन्दगी बेसाज़
- प्यार का रंग हजारों से अलग होता है
- प्यार किस तरह उनको समझायें!
- प्यार दिल में है अगर प्यार से दो बात भी हो
- पाँव तो उस गली में धरते हैं
- फूल अब शाख से झड़ता-सा नज़र आता है
- बात ऐसे तो बहुत होके रही अपनी जगह
- बेझिझक, बेसाज़, बेमौसम के आ
- भेंट उसने गुलाब की ले ली
- मुझे देखते रहे जो बड़ी बेरुखी से पहले
- मेरी चाह उस नज़र में है, कभी है, कभी नहीं है
- यह प्यार दगा दे, कभी ऐसा नहीं होगा
- यों ख्यालों में उभरता है एक हसीन-सा नाम
- यों तो निशान पाँव का मिलता है यहीं तक
- यों तो सभी से मेल-मुहब्बत है राह में
- राह हमको लिए जाती है कहाँ, कौन कहे!