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"कितनी नावों में कितनी बार / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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कितनी नावों में कितनी बार  
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कितनी दूरियों से कितनी बार
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कितनी डगमग नावों में बैठ कर
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|पृष्ठ=103
मैं तुम्हारी ओर आया हूँ
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|विविध=1962-66 की कविताएँ। इस रचना को 1978 के [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया था।
मेरी छोटी-सी ज्योति !
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}}
 
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* [[दूसरे संस्करण की भूमिका / अज्ञेय]]
कभी कुहासे में तुम्हें न देखता भी
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* [[उधार / अज्ञेय]]
 
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* [[सन्ध्या-संकल्प / अज्ञेय]]
पर कुहासे की ही छोटी-सी रुपहली झलमल में
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* [[प्रातः संकल्प / अज्ञेय]]
 
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* [[कितनी नावों में कितनी बार (कविता) / अज्ञेय]]
पहचानता हुआ तुम्हारा ही प्रभा-मंडल ।
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* [[यह इतनी बड़ी अनजानी दुनिया / अज्ञेय]]
 
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* [[निरस्त्र / अज्ञेय]]
कितनी बार मैं,
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* [[जीवन / अज्ञेय]]
 
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* [[समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय]]
धीर, आश्वस्त, अक्लांत –
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* [[ओ निःसंग ममेतर / अज्ञेय]]
 
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* [[एक ही कली की / अज्ञेय]]
ओ मेरे अनबुझे सत्य ! कितनी बार.....
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* [[कि हम नहीं रहेंगे / अज्ञेय]]
 
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* [[उलाहना / अज्ञेय]]
और कितनी बार कितने जगमग जहाज
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* [[पक्षधर / अज्ञेय]]
 
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* [[गति मनुष्य की / अज्ञेय]]
मुझे खींच कर ले गये हैं कितनी दूर
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* [[उत्तर-वासन्ती दिन / अज्ञेय]]
 
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* [[पंचमुख गुड़हल / अज्ञेय]]
किन पराये देशों की बेदर्द हवाओं में  
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* [[गुल-लालः / अज्ञेय]]
 
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* [[अन्धकार में जागने वाले / अज्ञेय]]
जहाँ नंगे अँधेरों को
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* [[गृहस्थ / अज्ञेय]]
 
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* [[जैसे जब से तारा देखा / अज्ञेय]]
और भी उघाड़ता रहता है
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* [[सुनी हैं साँसें / अज्ञेय]]
 
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* [[नाता-रिश्ता / अज्ञेय]]
एक नंगा, तीखा, निर्मम प्रकाश –
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* [[होने का सागर / अज्ञेय]]
 
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* [[युद्ध-विराम / अज्ञेय]]
जिसमें कोई प्रभा-मंडल, नहीं बनते
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* [[स्मारक / अज्ञेय]]
 
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* [[महानगर: कुहरा / अज्ञेय]]
केवल चौधिंयाते हैं तथ्य, तथ्य—तथ्य—
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* [[तुम्हें नहीं तो किसे और / अज्ञेय]]
 
+
* [[हम नदी के साथ-साथ / अज्ञेय]]
सत्य नहीं, अंतहीन सच्चाइयाँ....
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* [[पेरियार / अज्ञेय]]
 
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* [[फ़ोकिस में ओदिपौस / अज्ञेय]]
कितनी बार मुझे
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* [[कालेमेग्दान / अज्ञेय]]
 
+
* [[यात्री / अज्ञेय]]
खिन्न, विकल, संत्रस्त –
+
* [[स्वप्न / अज्ञेय]]
 
+
* [[प्रस्थान से पहले / अज्ञेय]]
कितनी बार !
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* [[विदा के चौराहे पर: अनुचिन्तन / अज्ञेय]]
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* [[काँच के पीछे की मछलियाँ / अज्ञेय]]
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* [[हेमन्त का गीत / अज्ञेय]]
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* [[जो रचा नहीं / अज्ञेय]]
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* [[एक दिन चुक जाएगी ही बात / अज्ञेय]]
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* [[मन बहुत सोचता है / अज्ञेय]]
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* [[धड़कन धड़कन / अज्ञेय]]
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* [[जिस में मैं तिरता हूँ / अज्ञेय]]
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* [[सम्पराय / अज्ञेय]]
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* [[अंगार / अज्ञेय]]

15:00, 14 मई 2014 के समय का अवतरण

कितनी नावों में कितनी बार
Kitni.jpg
रचनाकार अज्ञेय
प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ
वर्ष 1983 (चौथा संस्करण)
भाषा हिन्दी
विषय
विधा
पृष्ठ 103
ISBN
विविध 1962-66 की कविताएँ। इस रचना को 1978 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।