भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
| पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
}} | }} | ||
* [[अब मत मेरा निर्माण करो / हरिवंशराय बच्चन]] | * [[अब मत मेरा निर्माण करो / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
| + | * [[मेरे उर पर पत्थर धर दो / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
| + | * [[मूल्य दे सुख के क्षणों का / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
* [[कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन]] | * [[कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
| + | * [[मेरा तन भूखा, मन भूखा / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
| + | * [[व्यर्थ गया क्या जीवन मेरा / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
* [[कोई नहीं, कोई नहीं / हरिवंशराय बच्चन]] | * [[कोई नहीं, कोई नहीं / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
* [[मैं जीवन में कुछ कर न सका / हरिवंशराय बच्चन]] | * [[मैं जीवन में कुछ कर न सका / हरिवंशराय बच्चन]] | ||
20:01, 26 सितम्बर 2009 का अवतरण
एकांत-संगीत

क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
| रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
|---|---|
| प्रकाशक | |
| वर्ष | |
| भाषा | हिन्दी |
| विषय | कविताएँ |
| विधा | |
| पृष्ठ | |
| ISBN | |
| विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अब मत मेरा निर्माण करो / हरिवंशराय बच्चन
- मेरे उर पर पत्थर धर दो / हरिवंशराय बच्चन
- मूल्य दे सुख के क्षणों का / हरिवंशराय बच्चन
- कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन
- मेरा तन भूखा, मन भूखा / हरिवंशराय बच्चन
- व्यर्थ गया क्या जीवन मेरा / हरिवंशराय बच्चन
- कोई नहीं, कोई नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- मैं जीवन में कुछ कर न सका / हरिवंशराय बच्चन
- किसके लिए? किसके लिए? / हरिवंशराय बच्चन
- किस ओर मैं? किस ओर मैं? / हरिवंशराय बच्चन
- सोचा, हुआ परिणाम क्या / हरिवंशराय बच्चन
- पूछता, पाता न उत्तर / हरिवंशराय बच्चन
- तब रोक न पाया मैं आँसू / हरिवंशराय बच्चन
- मिट्टी दीन कितनी, हाय / हरिवंशराय बच्चन
- क्षतशीश मगर नतशीश नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- त्राहि, त्राहि कर उठाता जीवन / हरिवंशराय बच्चन
- तुम्हारा लौह चक्र आया / हरिवंशराय बच्चन
- अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन शाप या वरदान / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन में शेष विषाद रहा / हरिवंशराय बच्चन
- अग्नि देश से आता हूँ मैं / हरिवंशराय बच्चन
- विष का स्वाद बताना होगा / हरिवंशराय बच्चन
- प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर / हरिवंशराय बच्चन
- कितना अकेला आज मैं / हरिवंशराय बच्चन
