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"कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति" के अवतरणों में अंतर
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21:59, 5 जुलाई 2008 के समय का अवतरण
ॐ श्री परमात्मने नमः
शांति पाठ
ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु । मा विद्विषावहै ।
रक्षा करो पोषण करो, गुरु शिष्य की प्रभु आप ही,
ज्ञातव्य ज्ञान हो तेजमय, शक्ति मिले अतिशय मही।
न हों पाराजित हम किसी से, ज्ञान विद्या क्षेत्र में,
हो त्रिविध तापों की निवृति, न प्रेम शेष हो नेत्र में॥
- प्रथम अध्याय
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