भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कविता कोश मुखपृष्ठ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | <table align=center border=0 cellpadding=3 cellspacing=1 | + | <table align=center border=0 cellpadding=3 cellspacing=1 style="background:none;width:100%"> |
<tr><td valign="top"> | <tr><td valign="top"> | ||
{{KKHomePageBegin}} | {{KKHomePageBegin}} |
19:58, 12 जून 2010 का अवतरण
कविता कोश / गद्य कोश
भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भारतीय काव्य का सबसे विशाल ऑनलाइन संकलन
कोश में कुल पन्ने: 1,58,621
सभी लोगों का मिला-जुला स्वयंसेवी प्रयास!... जय स्वयंसेवा!
मूल काव्य: हिन्दी - उर्दू भोजपुरी मैथिली राजस्थानी अंगिका अवधी नेपाली हरियाणवी ...अन्य भाषाएँ अनुवाद: भारतीय भाषाओं से विदेशी भाषाओं से अन्य विभागों के लिए पर क्लिक कर मेन्यू खोलें
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
रचनाकार: त्रिलोचन खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया
|
|