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सुबह की दस्तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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सुबह की दस्तक
रचनाकार | वीरेन्द्र खरे 'अकेला' |
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प्रकाशक | सार्थक प्रकाशन, ए-गौतम नगर, नई दिल्ली-110049 |
वर्ष | 2006 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें |
विधा | ग़ज़ल, गीत, कविता |
पृष्ठ | 128 |
ISBN | 81-8160-049-0 |
विविध | 150.00 रूपये |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
अनुक्रम ग़ज़लें
- आराम के सुकून के राहत के चार दिन/वीरेन्द्र खरे अकेला
- कोई मंज़र नज़र को भाता नहीं /वीरेन्द्र खरे अकेला
- सूर्य से भी पार जाना चाहता है /वीरेन्द्र खरे अकेला
- ये घातों पे घातें देखो/वीरेन्द्र खरे अकेला
- पंखों को आराम दिया कब हरदम रहा उड़ान में/वीरेन्द्र खरे अकेला
- बहुत भूखा है बातों में वो तेरी आ नहीं सकता/वीरेन्द्र खरे अकेला
- वक्त ढल पाया नहीं था शाम का/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- सोच की सीमाओं के बाहर मिले /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आया तेरा ख़्याल कि आये हसीन ख़्वाब/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- वक्त को हाथ मलते हुए देखना/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कभी कुछ ग़म भी हो हरदम खुशी अच्छी नहीं होती /वीरेन्द्र खरे अकेला
- बात बोले हो बिलकुल खरी/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- किसी सूरत नहीं मिलता है अब आराम ऐ भाई /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- सुकूं की अब निशानी ही नहीं है /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आँसुओं को बवाल समझा गया /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जान आफत में फँसी है क्या करूँ क्या ना करूँ/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कहाँ खुश देख पाती है किसी को भी कभी दुनिया/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हर गाम पर कहीं भी फुलवारियाँ नहीं हैं/वीरेन्द्र खरे अकेला
- बस हवाओं ने इजाज़त उसको दी इतनी ही थी/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- इधर से उधर में मरे जा रहे हैं /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बस गया तेरा ख़्वाब आँखों में /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- अरे नादान क्यों उलझा है तू चूल्हे बदलने में /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- काम आया बोलने का हौसला कुछ भी नहीं /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हाले दिल क्या सुनाएँ मंटोले/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- नैतिक दायित्वों को पूरा करना है /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दे गया धैर्य धारण कला बन्धुओ/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जीतने की अगरचे आस नहीं /वीरेन्द्र खरे अकेला
- कितने भी हुशियार रहो पर धोखा हो ही जाता है /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ज़हन में हर घड़ी सिक्कों की ही झंकार ठहरे/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ख़ाली खोखा है महज एक भी न काड़ी है /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- झूठ पर कुछ लगाम है कि नहीं /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- मुजरिमों से भी बुरी मुन्सिफ़ों की हेटी हुई/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- यूं ही रोज़ मरें कब तक /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- क्या बतलायें हम पर यारो रात तो कितनी भारी थी /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- यूं न देखा करो मुझे अपलक/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- छोटी छोटी बात पे मत दिल दुखी करते रहो /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- महकी महकी फ़िज़ा थी वो लड़की/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दर्द सैकड़ों दिल की दास्तान से गुज़रे/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- औरों के भी दिलों की जो पीर जानता है /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ख़ून पसीना काम न आया तो ग़ुस्सा आया/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पहले से तो राहत है मगर ना के बराबर/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- न जाने क्यों तेरी यारी में उलझे/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दी गई क्यों सज़ा हम नहीं जानते/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- झूठी तारीफ़ों के पुल बाँधा न कर/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जम्हूरी मुल्क में तुम हिटलरी क़ायम करोगे क्या/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कहीं लगता नहीं हर शै से अब तो मन उचटता है /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जो हुआ उसको भुलाना चाहिए/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- इक ख़्वाब ले रहा है ऊँची उड़ान फिर/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दिल तो करता है लगाऊँ लात/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- थक गया सुन सुन तेरी ऐसा था वो वैसा न था /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- चुभते दिन और ज़हरीली काली रातो ने आ घेरा/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दुखी हो जब तुम्हारा मन, अकेला की ग़ज़ल पढ़ना/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
कविता एवं गीत
- प्रार्थना/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- भाषा का यो़द्धा मैं/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ज़रा सा प्यार/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ज़िन्दगी यूं ही बीत गयी /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पटरी से उतरी है जीवन की रेल/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- मौन धारे रहो /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पाठशाला/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- क्यों तुम मेरे पास ठहरते/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हम भी परेशान तुम भी परेशान/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- भूलों का विश्लेषण/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- वन जाने को राम नहीं तैयार/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आपको मुबारक हों /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- मामा के आगे ममियारे की /वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ठन ठन गोपाल/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- है असंगत घोषणा अपनी विजय की/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आज़ादी हमको मिली कहाँ/वीरेन्द्र खरे 'अके'ला
- बातचीत का रास्ता/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ये आग कैसे लगी/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पूरा भरोसा है प्रभो/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बंदर के हाथ उस्तरा/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- गाली ही छूट गयी/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- रहिये मौन/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- नवनिर्माण हो गया/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- एक शिक्षित बेरोज़गार का गीत/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- वनवास लिये बैठा हूं/वीरेन्द्र खरे अकेला
- एक दुखियारे का प्रेम-गीत/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- विरहणी का वसंत-गीत/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- सच में परिणत होंगे सपने/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ओ मेरी प्रियतमा/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- मैं/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'