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सालिम सलीम
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सालिम सलीम
जन्म | 1985 |
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जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
सालिम सलीम / परिचय |
ग़ज़लें
- बदन सिमटा हुआ और दश्त-ए-जाँ फैला हुआ है / सालिम सलीम
- दालान में कभी कभी छत पर खड़ा हूँ मैं / सालिम सलीम
- दश्त की वीरानियों में ख़ेमा-ज़न होता हुआ / सालिम सलीम
- हंगामा-ए-सुकूत बपा कर चुके हैं हम / सालिम सलीम
- काम हर रोज़ ये होता है किस आसानी से / सालिम सलीम
- कुछ भी नहीं है बाक़ी बाज़ार चल रहा है / सालिम सलीम
- मिरे ठहराओ को कुछ और भी वुसअत दी जाए / सालिम सलीम
- पस-ए-निगाह कोई लौ भड़कती रहती है / सालिम सलीम