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एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन
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एकांत-संगीत
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रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अब मत मेरा निर्माण करो / हरिवंशराय बच्चन
- मेरे उर पर पत्थर धर दो / हरिवंशराय बच्चन
- मूल्य दे सुख के क्षणों का / हरिवंशराय बच्चन
- कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन
- मेरा तन भूखा, मन भूखा / हरिवंशराय बच्चन
- व्यर्थ गया क्या जीवन मेरा? / हरिवंशराय बच्चन
- खिड़की से झाँक रहे तारे / हरिवंशराय बच्चन
- नभ में दूर-दूर तारे भी / हरिवंशराय बच्चन
- मैं क्यों अपनी बात सुनाऊँ? / हरिवंशराय बच्चन
- छाया पास चली आती है / हरिवंशराय बच्चन
- मध्य निशा में पंछी बोला / हरिवंशराय बच्चन
- जा कहाँ रहा है विहग भाग? / हरिवंशराय बच्चन
- जा रही है यह लहर भी / हरिवंशराय बच्चन
- प्रेयसि, याद है वह गीत? / हरिवंशराय बच्चन
- कोई नहीं, कोई नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- किसलिये अंतर भयंकर? / हरिवंशराय बच्चन
- मैं जीवन में कुछ कर न सका / हरिवंशराय बच्चन
- किसके लिए? किसके लिए? / हरिवंशराय बच्चन
- किस ओर मैं? किस ओर मैं? / हरिवंशराय बच्चन
- सोचा, हुआ परिणाम क्या / हरिवंशराय बच्चन
- पूछता, पाता न उत्तर / हरिवंशराय बच्चन
- तब रोक न पाया मैं आँसू / हरिवंशराय बच्चन
- मिट्टी दीन कितनी, हाय / हरिवंशराय बच्चन
- क्षतशीश मगर नतशीश नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- त्राहि, त्राहि कर उठाता जीवन / हरिवंशराय बच्चन
- तुम्हारा लौह चक्र आया / हरिवंशराय बच्चन
- अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन शाप या वरदान / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन में शेष विषाद रहा / हरिवंशराय बच्चन
- अग्नि देश से आता हूँ मैं / हरिवंशराय बच्चन
- विष का स्वाद बताना होगा / हरिवंशराय बच्चन
- प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर / हरिवंशराय बच्चन
- कितना अकेला आज मैं / हरिवंशराय बच्चन