गयाप्रसाद शुक्ल
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जन्म | 1883 |
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निधन | 1972 |
उपनाम | सनेही, त्रिशूल |
जन्म स्थान | हडहा, उन्नाव, उत्तरप्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
प्रेम-पचीसी, त्रिशूल तरंग तथा कृषक-क्रंदन। | |
विविध | |
इन्हें हिंदी काव्य सम्मेलनों का प्रतिष्ठापक कहा जाता है। | |
जीवन परिचय | |
गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' / परिचय |
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- घूमें घनश्याम स्यामा-दामिनी लगाए अंक / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- नारी गही बैद सोऊ बेनि गो अनारी सखि / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- दर्पण में हिय के वह मूरति आय बसी / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- संकित हिये सों पिय अंकित सन्देशो बांच्यो / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- ग्रीष्म स्वर्णकार बना भट्टी-सा नगर बर / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- कोयल / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- झन-झन झनक रही हैं कड़ियाँ / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- तकली / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- आज़ाद हिन्द फ़ौज का कड़खा / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- स्वतंत्रता / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- आज़ादी आ रही है / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- सन् 1857 की जनक्रांति / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- असहयोग / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- स्वदेश / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- तलवार / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- स्वदेशी होली / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- परतंत्रता की गाँठ / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- पावन प्रतिज्ञा / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- असहयोग कर दो / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- वह हृदय नहीं है पत्थर है / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- भारत संतान / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- साम्यवाद / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- राष्ट्रीयता / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
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