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फ़िराक़ गोरखपुरी
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फ़िराक़ गोरखपुरी की रचनाएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी (मूल नाम: रघुपति सहाय)
जन्म | 1896 |
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निधन | 1982 |
उपनाम | फ़िराक़ |
जन्म स्थान | गोरखपुर, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
गुले-नग़मा | |
विविध | |
गुले-नग़मा के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। | |
जीवन परिचय | |
फ़िराक़ गोरखपुरी / परिचय |
- बज्में जिन्दगी रंगे-शायरी / फ़िराक़ गोरखपुरी
- निगाहें नाज़ ने पर्दे उठाए हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी
- कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम / फ़िराक़ गोरखपुरी
- रस में डूब हुआ लहराता बदन क्या कहना / फ़िराक़ गोरखपुरी
- सितारों से उलझता जा रहा हूँ / फ़िराक़ गोरखपुरी
- अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी
- ऐ जज्बा-ए-निहां और कोई है कि वही है / फ़िराक़ गोरखपुरी
- बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी
- ग़ैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते / फ़िराक़ गोरखपुरी
- जब नज़र आप की हो गई है / फ़िराक़ गोरखपुरी
- कभी पाबंदियों से छूट के भी दम घुटने लगता है / फ़िराक़ गोरखपुरी
- मौत इक गीत रात गाती थी / फ़िराक़ गोरखपुरी
- मुझको मारा है हर एक दर्द-ओ-दवा से पहले / फ़िराक़ गोरखपुरी
- रात आधी से ज्यादा गई थी सारा आलम सोता था / फ़िराक़ गोरखपुरी
- रात भी, नींद भी, कहानी भी / फ़िराक़ गोरखपुरी
- सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है / फ़िराक़ गोरखपुरी
- सर में सौदा भी नहीं दिल में तम / फ़िराक़ गोरखपुरी
- शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो / फ़िराक़ गोरखपुरी
- ये माना जि़न्दगी है चार दिन की / फ़िराक़ गोरखपुरी
- ये निखतों की नर्म रवी, ये हवा ये रात / फ़िराक़ गोरखपुरी
- ये तो नहीं कि ग़म नहीं / फ़िराक़ गोरखपुरी
- थरथरी सी है आसमानों में / फ़िराक़ गोरखपुरी
- कोई नई ज़मीन हो नया आसमां भी हो / फ़िराक़ गोरखपुरी
- छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं / फ़िराक़ गोरखपुरी
- न जाना आज तक क्या शै ख़ुशी है / फ़िराक़ गोरखपुरी