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रचनाकार | वसीम बरेलवी |
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प्रकाशक | परम्परा प्रकाशन, नई दिल्ली |
वर्ष | 2007 |
भाषा | उर्दू |
विषय | शायरी |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 160 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- भूमिका / फ़िराक़ गोरखपुरी / वसीम बरेलवी
- मुझ से मुझ तक / वसीम बरेलवी
- ज़रा सा क़तरा कहीं / वसीम बरेलवी
- खुल के मिलने का सलीक़ा आप को आता नहीं / वसीम बरेलवी
- तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा / वसीम बरेलवी
- मोहब्बत ना-समझ होती है समझाना ज़रूरी है / वसीम बरेलवी
- अच्छा है जो मिला वह कहीं छूटता गया / वसीम बरेलवी
- भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे / वसीम बरेलवी
- क़तरा अब एहतिजाज करे भी तो क्या मिले / वसीम बरेलवी
- सभी का धूप से बचने को सर नहीं होता / वसीम बरेलवी
- कैसा दरिया है कि प्यासा तो न मरने देगा / वसीम बरेलवी
- अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है / वसीम बरेलवी / वसीम बरेलवी
- दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता / वसीम बरेलवी
- अब ऐसा घर के दरीचों को बन्द क्या रखना / वसीम बरेलवी
- मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता / वसीम बरेलवी
- हम अपने आप को इक मसअला बना न सके / वसीम बरेलवी
- वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता / वसीम बरेलवी
- चलो हम ही पहल कर दें कि हम से बद-गुमाँ क्यूँ हो / वसीम बरेलवी
- हमारा अज़्म-ए-सफ़र कब किधर का हो जाए / वसीम बरेलवी
- ज़िन्दगी कितने जख़्म खाये है / वसीम बरेलवी
- तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते / वसीम बरेलवी
- आवाज़ से लबों का बहुत फ़ासिला न था / वसीम बरेलवी
- अपने साए को इतना समझाने दे / वसीम बरेलवी
- जीते हैं किरदार नहीं है / वसीम बरेलवी
- वह जो हर आंख को पैमाने नज़र आये है / वसीम बरेलवी
- अपने अंदाज़ का अकेला था / वसीम बरेलवी
- वो प्यार जिसके लिए हमने क्या गंवा न दिया / वसीम बरेलवी
- मेरी धूपों के सर को रिदा कौन दे / वसीम बरेलवी
- वो बे-हिसी के दिन आये कि कुछ हुआ न लगा / वसीम बरेलवी
- कुछ इतना ख़ौफ़ का मारा हुआ भी प्यार न हो / वसीम बरेलवी
- क्या दुख है समुंदर को बता भी नहीं सकता / वसीम बरेलवी
- कहाँ सवाब कहाँ क्या अज़ाब होता है / वसीम बरेलवी
- मैं जिसे चाहूँ जिऊँ मेरी ज़िन्दगी है मियां / वसीम बरेलवी
- हद से बढ़ के तअल्लुक़ निभाया नहीं / वसीम बरेलवी