कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- दिल बे-ताब-ए-मर्ग-ए-नागहाँ बाक़ी न रह जाए / 'मुशीर' झंझान्वी
- हौसला दिल का हवादिस में बढ़ा रक्खा है / 'मुशीर' झंझान्वी
- मोहब्बत में सहर ऐ दिल बराए नाम आती है / 'मुशीर' झंझान्वी
- नसीब-ए-इश्क़ मसर्रत कभी नहीं होती / 'मुशीर' झंझान्वी
- नज़रों की जिद से यूँ तो मैं ग़ाफिल नहीं रहा / 'मुशीर' झंझान्वी
- सितम में भी शान-ए-करम देखते हैं / 'मुशीर' झंझान्वी
- सोज़-ओ-गुदाज-ए-इश्क़ का चर्चा न कर सके / 'मुशीर' झंझान्वी
- ताब-ए-नज़र से उन को परेशां किए हुए / 'मुशीर' झंझान्वी
- तेरी चश्म-ए-सितम-ईजाद से डर लगता है / 'मुशीर' झंझान्वी