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नया पृष्ठ: <poem>तुमसे मैं कुछ पल जुदा भी हो गया तो क्या हुआ शाम को घर लौट आया सुब…
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नया पृष्ठ: <poem>सँभलकर राह में चलना वही पत्थर सिखाता है हमारे पाँव के आगे जो ठो…
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नया पृष्ठ: महोदय, इनकी पुस्तक का नाम है- ‘चंदन वन डूब गया’। ये नवगीतकार नहीं, …
नया पृष्ठ: महोदय यह रचना नूरसाहब की नहीं है, इसलिये इस शीर्षक को हटा देना बेह…
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पृष्ठ को '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण बिहारी 'नूर' }}{{Template:KKAnthologyDiwali}} <poem><…' से बदल रहा है।
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नया पृष्ठ: <poem>वो लब कि जैसे साग़रे-सहबा दिखाई दे जुंबिश जो हो तो जाम छलकता दिख…
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नया पृष्ठ: <poem>बस गया हो ज़हन में जैसे कोई डर आजकल सब इकट्ठा कर रहे हैं छत पे पत…
नया पृष्ठ: <poem>शाम का वक़्त है शाख़ों को हिलाता क्यों है तू थके-माँदे परिंदों …
छोनया पृष्ठ: <poem>क्या हुआ तुमको अगर चेहरे बदलना आ गया हमको भी हालात के साँचे में …
नया पृष्ठ: <poem>चाहत को आँसुओं के भँवर से बचा लिया अच्छा किया कि आपने मुझको मना …
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नया पृष्ठ: <poem>चाहत को आँसुओं के भँवर से बचा लिया अच्छा किया कि आपने मुझको मना …
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नया पृष्ठ: बस गया हो ज़हन में जैसे कोई डर आजकल सब इकट्ठा कर रहे हैं छत पे पत्थ…
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नया पृष्ठ: तरफ़दारी नहीं करते कभी हम उन मकानों की छतें जिनकी हिमायत चाहती हो…
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